जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समस्या का भारतवर्ष पर प्रभाव: एक समीक्षा

Authors

  • शीतल शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक

Keywords:

कश्मीर समस्या, आतंकवाद, विपरीत प्रभाव, सीमावर्ती क्षेत्र, रणनीति, प्रभाव, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, प्रदर्शन, पलायन, असंतोष।

Abstract

जब से देश स्वतंत्र हुआ है उसी समय से कश्मीर की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कश्मीर समस्या को लेकर तीन युद्ध हो चुके हैं तथा इस के फलस्वरूप ‘आतंकवाद’ में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। यह आतंकवाद केवल भारत वर्ष तक सीमित नहीं है, अपितु इसके पंख पूरे विश्व में फैल चुके है। आतंकवाद के लिए कोई विशेष विचार धारा अथवा धर्म उत्तरदायी नहीं रहा है। विश्व में आतंकवाद का मुद्दा एक चिंतन का विषय है। इसका कारण कोई भी रहा हो, चाहे वो आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक या फिर नस्लीय, परन्तु इसका विशेष कारण इन से उत्पन्न हुए ‘कट्टरपंथी’ विचारधारा ही है।

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Published

2023-02-10

How to Cite

शीतल. (2023). जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समस्या का भारतवर्ष पर प्रभाव: एक समीक्षा. International Journal of Research Radicals in Multidisciplinary Fields, ISSN: 2960-043X, 2(1), 60–64. Retrieved from https://www.researchradicals.com/index.php/rr/article/view/24